१-धन्यवाद है बादल
भैया !
---गुलाब चंद जैसल
धन्यवाद है तुमको
भैया
जो तुम हो बरसे –
चुन्नू-टुक्कू, संटी-बंटी,
अंकित- अंकुर
हर्षे।
जब से तुम बरसे हो
पानी,
मौसम ठंडा-ठंडा,
बंद हुए हैं कूलर
सारे,
बस चलता है पंखा।
दिल्ली सारी
भीगी-भागी,
पौधे हैं हर्षाए।
सड़कें सारी
गीली-गीली,
पेड़ सभी लहराएँ।
छई-छपाका करते
फिरते,
विद्यालय के बच्चे,।
थोड़े बहुत बड़े हैं
भैया,
थोड़े छोटे बच्चे।
कुछ कच्चे हैं-कुछ
पक्के हैं,
कुछ हैं नए-नवेले।
चिड़िया के बच्चों
से चीं-चीं,
पहली; कक्षा
के चेले।
और न बरसो, अब सुस्ता लो,
पर गरमी ना करना।
थोड़ी गरमी हो जाए
जो ,
आकर यहीं बरसना ।
दही मलाई देंगे
तुमको,
टिफिन तुम्हे
खिलाएँगे।
स्नैकर देंगे हम
तुमको,
टाफी भी चखाएँगे॥