Tuesday, August 6, 2013

१-धन्यवाद है बादल भैया !
                     ---गुलाब चंद जैसल
                     
   (08/08/2013)
धन्यवाद है तुमको भैया
जो तुम हो बरसे
चुन्नू-टुक्कू, संटी-बंटी,
अंकित- अंकुर हर्षे।
जब से तुम बरसे हो पानी,
मौसम ठंडा-ठंडा,
बंद हुए हैं कूलर सारे,
बस चलता है पंखा।
दिल्ली सारी भीगी-भागी,
पौधे हैं हर्षाए।
सड़कें सारी गीली-गीली,
पेड़ सभी लहराएँ।
छई-छपाका करते फिरते,
विद्यालय के बच्चे,
थोड़े बहुत बड़े हैं भैया,
थोड़े छोटे बच्चे।
कुछ कच्चे हैं-कुछ पक्के हैं,
कुछ हैं नए-नवेले।
चिड़िया के बच्चों से चीं-चीं,
पहली;  कक्षा के चेले।
और न बरसो, अब सुस्ता लो,
पर गरमी ना करना।
थोड़ी गरमी हो जाए जो ,
आकर यहीं बरसना ।
दही मलाई देंगे तुमको,
टिफिन तुम्हे खिलाएँगे।
स्नैकर देंगे हम तुमको,
टाफी भी चखाएँगे॥